आपके,बिन कुछ कहे,
जाने का दर्द तो हुआ था बहुत,
मगर क्या करे, बेगम हसीना,
आप खुश ही इतनी थीं,
कि हम अपना सारा दर्द
एक ही पल में भूल गए।
मगर वो पल भी क्या पल था,
जहाँ मुस्कान आपकी थी,
और खामोशी हमारी।
दिल ने चाहा था रुक जाए वक्त वहीं,
पर किस्मत को ये मंज़ूर कहाँ थी।
आपकी खुशी में हमने खुद को खो दिया,
अपने आँसू छुपाकर होठों को सी दिया।
चाहा तो बहुत कि एक बार रोक लें आपको,
मगर मोहब्बत में ज़िद कहाँ होती है।
आपकी राहों में फूल बिछा दिए हमने,
और अपनी राहों में कांटे चुन लिए।
आपकी हँसी की खनक सुनते रहे दूर से,
और अपने दिल के टूटने की आवाज़ दबा दी।
अब हर रात आपके ख्यालों में कटती है,
और हर सुबह अधूरी दुआओं में।
आप खुश रहें, यही चाहत है हमारी,
मगर इस दिल की तन्हाई कौन समझेगा?
Comments
Post a Comment